रिश्ते

Monday, September 17, 2007 | |


खुदा इस्स तरह से मिलाय
कभी हसाय कभी रुलाय !
ये क्या हुआ था वक़्त को
कभी गुम्सुम..कभी बेवफ़ा !
दिल में डर हम भी लिए थे
तोड़ा शायद तुमको भी दिए थे !
हमें माफ़ करदो खुदा कि खातिर
सदा ख़ुश रहो, हमारी रिश्ते कि खातिर !

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