दर्द

Saturday, July 21, 2007 | |

दर्द

सब हस्ते है मेरे हालात पर
क्या तुमको भी हसी आती है?
हमें नहीं थी ख़बर इसकी मगर
अब हमको भी हसी आती है !

चले थे जिस्स दिशा में
रोशनी की कोई कमी नहीं थी !
जल गया हात मेरा छूकर जिसे
वो दिया नही मेरे आर्मानो कि चिता थी !

आज बैटे है ख़ामोश हम
रोक नहीं पा रहे है इन्न बेहते आँसू को !
कोई इस क़दर तोड़ दिया दिल को
समेट रहा हूं अभी तक बिखरे तुखड़ोंकॉ !

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